पवन से पूछा एक दिन मैंने ,
अपना रूप क्यों नहीं दिखाती,
क्यों सबसे हो अपना असितत्व छुपाती,
बहती रहती हो सर-सर,
तपिस में हमेशा ठंडक पहुंचाती,
बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं होती,
पवन मुस्कुराई,बोली,
देना ही है जिन्दगी,
मेरा कोई रूप नहीं रंग नहीं,
फिर भी मैं सबकी चहेती०
-वंदना शर्मा
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