Monday, November 15, 2010

सांझी-साँझ

कुछ चीज़े हमारी सांझी है
कुछ का हमने करलिया बंटवारा
जैसे ,
चौकलेट,टॉफी तुम्हारी
रैपर मेरा ,
आम की फांके तुम्हारी
गुठ्लिया मेरी ,
कंप्यूटर पर गेम खेलना मेरा
बाध्यता तुम्हारी,
चीजें बिखेरना तुम्हारा
समेटना मेरी,
खेल में समय निर्धारित करना मेरा,
बढ़ाना तुम्हारी,
बनी रहे हमारी सांझी-साँझ
करते है दुआ,
मिलकर दोनों भतीजा और बुआ

Sunday, November 14, 2010

बीते दिन

ऐ समय तू उढ़ रहा लगा पंख
ले जा इन्हें भी अपने संग
तू तो कभी हाथ नहीं आया
क्यों जमा गया इन्हें कर
खिढ़की दरवाज़े बंद
इंतजार में हूँ तेरे
तू मुस्कान के अच्छे लिबास में आये
बात न मान क्यों बीते दिन यद् कराए
मान ले कहना मेरा
बन जा मित्र
मेरा हरपाल ध्यान तुझ पर
क्यों पहन भेस शत्रु का
बीते दिन पल-पल याद कराए
तू बीते दिन
-वंदना शर्मा

Wednesday, January 13, 2010

लोहड़ी

मेरी भी लोहड़ी मनाना ,
ज्यादा नही तो थोड़ी मनाना ,
रक्षा बन्धन भाई-बहना का
भाई-दूज भी
भाई-बहन का
दिवाली और
लोहड़ी केवल भईया का क्यूँ ,
तुम दोनों बिन हर त्यौहार अधूरा ,
कहा पापा ने हम दोनों को ,
पहना क्र अपनी बाँहों का हार ,
दिवाली-लोहड़ी
लड़का - लड़की का नहीं ,
ये तो है बच्चों का
त्यौहार